कोई तो है
जो टोकता है मुझे
मेरी लाल शर्ट पर
मेरे बिखरे बाल पर
डी-पी न बदलने पर
कोई तो है
जो एक दिन बात न हो
तो दूसरे दिन उलाहना देता है
कि कहाँ थे?
पता है कितना याद किया कल?
हर नोटिफिकेशन पर थी मेरी आँखें बिछी
हर अलर्ट से थी आस जगी
न आया कहीं से कुछ तो थी नाराज़गी बढ़ी
कोई तो है
कोई तो है
जो मुझे
मेरे होने का
अहसास दिलाता है
राहुल उपाध्याय । 12 जनवरी 2020 । सिएटल
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