Thursday, February 6, 2020

फूल ही फूल होते

फूल ही फूल होते
खार न होते
'गर होती उसे अमन की चाहत
उसके हाथ हथियार न होते

आँख के बदले
आँख न लेते
तो दीवाली जैसे
त्योहार न होते

हमसे न कहो
सबसे प्रेम करो
'गर होता प्रेम
यूँ नरसंहार न होते

'गर सच में चाहते
हो सबका स्वागत
तो खुद के घर के
बंद द्वार न होते

दीवारों से यदि होती 
हमें सच में नफ़रत 
अपना-पराया
परिवार न होते

राहुल उपाध्याय । 6 फ़रवरी 2020 । सिएटल

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: