जब पढ़ लिया मैंने भारत में
भारत में मेरे भारत में
तब जाकर मैं विदेश आया
कुछ गहने आदि थे बेचे
कुछ लोन जुटा पढ़ने आया
पढ़ने आया और पढ़ मैं खूब गया
पढ़ने में मैं अव्वल आया
पढ़-लिख कर मुझे नौकरी मिली
ख़ुशियों भरा संसार मिला
नौकरी भी ऐसी कि न नौकरी लगी
ऐसी भली और ऐसी हसीं
घर बैठे ही वेतन पाने लगा
काम भी तो था कुछ ख़ास नहीं
इमेल पढ़ो, इमेल लिखो
दो-चार लोगों से बात करो
स्टेटस दो, स्टेटस लो
बस ऐसे ही दिन भर काम करो
है काम जहां पे ख़ास सदा
मैं हार के वहाँ से आया हूँ
यूएस से लौट के आया हूँ
यूएस की बात सुनाता हूँ
अच्छे-बुरे का भेद नहीं
जो चाहा उसे निकाल दिया
कल तक था जिसको ख़ास कहा
उसे आज झट से निकाल दिया
जब काम था मुझसे काम लिया
अब बेकार मैं ख़ुद को पाता हूँ
यूएस से लौट के आया हूँ
यूएस की बात सुनाता हूँ
मिलते थे मुझे डॉलर तो क्या
मैं काम भी तो अच्छा करता था
कभी शाम को हो मीटिंग कोई
हर मीटिंग में शामिल रहता था
ये क्या हुआ, ये क्यों हुआ
बस सोच के मैं रह जाता हूँ
यूएस से लौट के आया हूँ
यूएस की बात सुनाता हूँ
इक बात अभी तक ना समझी
ये एच-आर भी क्या-क्या करता है
जिसे आज ये फ़ायर करता है
उसे कल वो हायर करता है
प्रश्न एक नहीं हैं हज़ार मेरे
और जवाब कहीं से न पाता हूँ
यूएस से लौट के आया हूँ
यूएस की बात सुनाता हूँ
दिन दहाड़े बंदूक़ें चलतीं हैं
दिमाग़ ठिकाने न रहते हैं
कब कौन कहाँ पर बरस पड़े
डर-डर के सब लोग रहते हैं
घर पर न कोई बुलाता है
ख़ुद जाऊँ तो गोली खाता हूँ
यूएस से लौट के आया हूँ
यूएस की बात सुनाता हूँ
राहुल उपाध्याय । 21 अप्रैल 2023 । सिएटल