किस का इलज़ाम किसी पर है
टूटी ज़िन्दगी, ज़िन्दगी पर है
मेरा आशियाँ कहीं पर है
मेरा दाना कहीं पर है
जा के बैठो कहीं चार दिन
वो न पाओगे, वो यहीं पर है
बात कर लो जहाँ-तहाँ जैसी
उँगली उठनी तुम्हीं पर है
जिनको सब कहते हैं मेरे
उनका होना नहीं पर है
जिनकी राहें जुड़ीं हैं मुझसे
उनको रहना ज़मीं पर है
राहुल उपाध्याय । 6 अप्रैल 2023 । सिएटल
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