Saturday, April 1, 2023

क्यूँ किसी का साथ भी


क्यूँ किसी का साथ भी

लगता है एक बोझ ही

क्यूँ किसी के साथ की

रहती है इक आस भी


आदमी जो है आदमी

कह गए कबीर दास जी

हो के भी आज़ाद वो

रहता है ग़ुलाम ही


धूप में चाहे छाँव वो

छाँव में चाहे धूप वो

मन की तृष्णा क्या करे

चाहता है हर रूप वो


आग-पानी ना बराबर 

दोनों लेकिन चाहिए 

ये है अच्छा, ये बुरा है 

दोनों लेकिन चाहिए 


पा के सब कुछ, कुछ मज़ा नहीं 

जो न पाए उदास हो

पक्का संतुलन है कहाँ 

कि न उदास हो, न निराश हो


राहुल उपाध्याय । 1 अप्रैल 2023 । सिएटल 




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