Friday, March 31, 2023

साथ हँसे और साथ में रोए

साथ हँसे और साथ में रोए

नार हो ऐसी तो बाँह गहे

सुबह को जब हम नींद से जागे

अधरों पे मुस्कान धरे


ढूँढा हज़ारों में, ढूँढा सितारों में

कहीं ना एक मिली

साँवली सूरत, मोहिनी मूरत

हज़ारों-हज़ार मिलीं

दिल ने जो चाहा, दिल ने न पाया 

कई-कई दिन और रात कटे


अब तो है सोचा कि खाएँगे धोखा जो

कुछ दिन और जीएँ 

मान लेंगे उसी को अपना वो हमदम जो

कुछ देर साथ चले

शक़ और शुबहा साथ में मेरे

पल-पल साथ पले


आखरी पल के आखरी ख़्वाब हैं ये

कोई तो गले लगा ले

बाँहों में भर के वो प्यार भर दे

कि हो जाए अनगिनत सवेरे

होगा कभी ये, होगा ज़रूर ये

ऐसे भी दिल के तार बजे 


राहुल उपाध्याय । 31 मार्च 2023 । सिएटल 



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