आप जैसे कहाँ हमें मौक़े
जो वो होते तो हम नहीं रोते
आप से और क्या कहे कोई
खा चुके हैं कई-कई धोखे
आँख संजय की अब कहाँ वैसी
कौन जाने कहाँ खड़े घोड़े
कब से बैठे हैं आप के दर पे
आस मिलने की हम नहीं खोते
जान को अब कहाँ फ़ुरसत
थक के बाग़बां नहीं सोते
राहुल उपाध्याय । 26 मार्च 2023 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment