जेल भरना आज आसां इतना कि एक खेल है
काम करना था जिन्हें बस भर रहे अब जेल हैं
कौम कहती थी जिन्हें कि आप हैं अच्छे आदमी
खो बैठे विश्वास उनका, हो गए अझेल हैं
विनाशकाले विपरीत बुद्धि हो गई चरितार्थ है
योग-ध्यान करने वाले लग रहे अनवेल है
दीप लेकर जो भी ढूँढें तो न पाएँगे कोई आप सा
अब मगर सोचने पे आपने कर दिया कम्पेल है
आग भी, पानी भी है, है इलाज सबका सामने
आज नहीं तो कल सभी को होना तो एक्सपेल है
राहुल उपाध्याय । 28 मार्च 2023 । सिएटल
0 comments:
Post a Comment