यूँ हसरतों की आग में न ख़ुद को झोंकिये
कुछ तो शर्म कीजिए, कुछ तो सोचिए
नौ बरस के बाद चली ये कैसी चाल है?
गिरेबां में झांक के कभी खुद को देखिए
अच्छे-भले हैं आदमी, प्रशासन भी ठीक है
विपक्ष को डरा के क्यूँ चुनाव जीतिए?
आगे-आगे हैं आपसे उम्मीद हज़ार और
ऐसे-वैसे ये काम कर भरोसा न तोड़िए
राहुल उपाध्याय । 24 मार्च 2023 । सिएटल
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