कहता हूँ तुमसे आज मुझे प्यार है नहीं
बिछड़ने का है ग़म मगर खार है नहीं
ये रूत, ये बाग, ये चाँद-घटा सब हैं सामने
इनका मैं क्या करूँ कि मेरा यार है नहीं
डगमगा रही है मेरी पाक ज़िन्दगी
जितना बचूँ मैं पाप से, सुधार है नहीं
हलक सूखा है प्यास से और प्यास भी नहीं
दिल और दिमाग़ के साथ जुड़े तार हैं नहीं
अंधों की बस्तियों में मुझे नैन दिए ही क्यूँ
श्राप ही मिला है मुझे, उपकार है नहीं
राहुल उपाध्याय । 16 मार्च 2023 । सिएटल
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