Sunday, April 16, 2023

हर पहर धुन यही हम गाते हैं

हर पहर धुन यही हम गाते हैं 

हम तेरे चरणों में सुख पाते हैं 


ज़िन्दगी तुझसे ही हमने पाई है 

सब सुख-चैन मिला तुझसे है

मैं कहीं जाऊँ अकेला न रहा

तेरा हाथ रहा सदा मुझपे हैं

आग लग जाए, दीं बरसातें हैं 


जब कभी सूझे न कोई रस्ता

राह रोशन मिली तुझसे है

मैं कभी भूल भी जाऊँ तुझको

तू भला मुझको कहाँ भूले हैं 

रात ढल जाए, पौ फट जाते हैं 


जितनी हरियाली है इन बागों में

सब की सब तूने उपजाई है

कब कहाँ कौन फल पाएगा

सब की सब तूने लिखवाई है 

खेल सब तेरा, हम प्यादे हैं


राहुल उपाध्याय । 16 अप्रैल 2023 । सिएटल 


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