हर पहर धुन यही हम गाते हैं
हम तेरे चरणों में सुख पाते हैं
ज़िन्दगी तुझसे ही हमने पाई है
सब सुख-चैन मिला तुझसे है
मैं कहीं जाऊँ अकेला न रहा
तेरा हाथ रहा सदा मुझपे हैं
आग लग जाए, दीं बरसातें हैं
जब कभी सूझे न कोई रस्ता
राह रोशन मिली तुझसे है
मैं कभी भूल भी जाऊँ तुझको
तू भला मुझको कहाँ भूले हैं
रात ढल जाए, पौ फट जाते हैं
जितनी हरियाली है इन बागों में
सब की सब तूने उपजाई है
कब कहाँ कौन फल पाएगा
सब की सब तूने लिखवाई है
खेल सब तेरा, हम प्यादे हैं
राहुल उपाध्याय । 16 अप्रैल 2023 । सिएटल
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