तुम न मानो मगर हक़ीक़त है
वाह-वाह ही नहीं ज़रूरत है
हौसले अपने रखो बुलंद इतने
क्या क़यामत, क्या मुसीबत है
जग में आएँगे और भी आशिक़
एक तुमको ही ना अक़ीदत है
पास आओ कहो मन की
क्यूँ ये झगड़ा, फ़ज़ीहत है
आज ये तो कल वो कहे 'राहुल'
बात बदलता शत-प्रतिशत है
राहुल उपाध्याय । 5 अप्रैल 2023 । सिएटल
(अक़ीदत = श्रद्धा, भक्ति, स्नेह, मन का भरोसा, श्रद्धा, विश्वास, निष्ठा, भरोसा, एतिक़ाद, एतबार
किसी बात को सही और ठीक जान कर उस पर दिल जमाना, दिल का भरोसा, विश्वास, ख़ुलूस-ओ-मोहब्बत)
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