Thursday, October 18, 2007

कामयाबी

जब हम अपनों के नहीं हुए तो किसी और के क्या होंगे पूछ लो किसी कामयाब से किस्से यही बयां होंगे जवानी यहाँ बुढापा वहाँ भटकेंगे ता-उम्र यहाँ-वहाँ दूर के ढोल लुभाएंगे हम जहां में जहाँ होंगे जब हम अपनों के नहीं हुए... देस में आते थे परदेस के सपने परदेस में आते हैं याद वतन के अपने हम से ज्यादा confused दुनिया में और कहाँ होंगे जब हम अपनों के नहीं हुए ... जिन्होंने हमें सब दिया उन्हें हम क्या दे सकेंगे? इतना सब कुछ होते हुए क्या कुछ भी दे सकेंगे? मदद के वक़्त पर वो वहाँ तो हम यहाँ होंगे जब हम अपनो के नहीं हुए ... 22 अगस्त 2007

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3 comments:

अनूप शुक्ल said...

कामयाबी की कहानी बढ़िया लगी।

Udan Tashtari said...

बढ़िया है भाई!!

Anonymous said...

Truly said