Sunday, August 9, 2009

मसला

हर मसला
'मसल' से
मसला नहीं जाता
हो चौखट पे सैलाब
तो उससे लड़ा नहीं जाता

जब से सुना
कि लकीरों में तक़दीर है मेरी
मेरे हाथों से
मेरा हाथ
मला नहीं जाता

समंदर में मंदिर
कहीं छुपा है ज़रूर
बिन जूते उतारे
उसमे उतरा नहीं जाता

जब भी सँवरती हैं,
बहुत बिगड़ती हैं ज़ुल्फ़ें
कहती हैं
क्यों आज़ाद हमें रखा नहीं जाता?

मुझे होती समझ
तो तुम्हें न बताता?
कि कुछ होती हैं बातें
जिन्हें कहा नहीं जाता

सिएटल
9 अगस्त 2009

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1 comments:

शारदा अरोरा said...

बहुत सुन्दर , क्या क्या है जो कहा नहीं जाता | धन्यवाद