Tuesday, May 15, 2018

वो साथ न होकर भी साथ हो

ग़म और ख़ुशी के पल याद आना अच्छा लगता है
बे-सर-पैर का गाना गाना अच्छा लगता है
टहलते-टहलते भटक जाना अच्छा लगता है
फूल-पत्ते-चाँद-सितारे सबसे अपनापन लगता है

वो साथ होकर भी साथ हो
सब अच्छा लगता है

15 मई 2018
सिएटल

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1 comments:

'एकलव्य' said...

निमंत्रण

विशेष : 'सोमवार' २१ मई २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक के लेखक परिचय श्रृंखला में आपका परिचय आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी से करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।