सभी कुछ है दुनिया में
मगर ये कमी है
कि आँखों में इसकी
मुरव्वत नहीं है
मोहब्बत तो करते हैं
मोहब्बत करने वाले
मोहब्बत है कहने की
इजाज़त नहीं है
जो सच है वही हम
कहते हैं देखो
ये शिकवा-शिकायत-
अदावत नहीं है
समन्दर है दरिया में
सच तो यही है
बादल के पानी का स्रोत
ऐरावत नहीं है
शरीफ़ों की नगरी में
शरीफ़ ही शरीफ़ हैं
बस गले मिल के रोने की
फ़ुरसत नहीं है
(शैलेन्द्र से क्षमायाचना सहित)
8 मई 2018
सिएटल
मुरव्वत = मानवता
अदावत = दुश्मनी
ऐरावत = इन्द्र का हाथी
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