Friday, May 25, 2018

जैसा बीज होता है

जैसा बीज होता है, वैसा ही फल होता है
फल, किसी की मेहनत का नहीं फल होता है

खाद का, जल का, किसी का नहीं असर होता है
बीज में ही निहित बीज का भविष्यफल  होता है

तरह-तरह के तरूवर, तरह-तरह के पेड़
हर किसी में इसी धूल-मिट्टी-गारे का मिश्रण होता है

सेब बनेगा या संतरा, इसमें माली क्या कर सकता है
बस जी जाए, बढ़ जाए, यही तो फ़र्ज़ होता है

टाटा बनाऊँ या बिड़ला, सचिन बनाऊँ या हेमा
बिरला है वो अभिभावक जो इसमें सफल होता है

25 मई 2018
सिएटल

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

rajendra nigam"raj" said...

बहुत ही सुन्दर रचना।हम लोग कुछ दिनों के लिए
वुडनविल आए हुए हैं। हिन्दी कविता,गीत, ग़ज़ल लिखते-पढ़ते
हैं। क्या आप से सम्पर्क हो सकता है।
..राजेन्द्र निगम"राज"
मो-9312411529