Sunday, September 15, 2024

ये जीवन क्या है

ये जीवन क्या है

जीवन नहीं है

बमबारी के बीच 

कोई बचता नहीं है 


न कोई ग़लत है 

न कोई सही है 

झगड़े-फ़साद की

जड़ यही है


तुमने भी देखा

हमने भी देखा

सरहदों के झगड़ों का

सर ही नहीं है


बच्चों के लब पे

ग़म का असर है 

मुस्कान-वुस्कान

कुछ भी नहीं है 


ये दुनिया है दुनिया 

सदा से है ऐसी

किसी को किसी की

ज़रूरत नहीं है 


तरीक़े बदल गए

नफ़रत है वैसी

किसी को किसी से 

मुहब्बत नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 15 सितम्बर 2024 । उज्जैन से। रतलाम जाते हुए 




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