Tuesday, September 3, 2024

अब मैं बेदाग़ हूँ

अच्छा हुआ 

वज़न गिर गया

हाथ पतले हो गए 

पट्टा और छोटा हो नहीं सकता

इसलिए 

अब कलाई पर 

घड़ी के निशान नहीं पड़ते हैं 


शादी में मिली

अँगूठी और चैन

कब की उतर गईं थीं

चश्मा भी उतर गया है

बाल भी कम हैं

अब मैं

चिह्नरहित हूँ 

बेदाग़ हूँ 


अब मैं 

जैसा आया था वैसा

घर जा सकता हूँ 

मुँह दिखा सकता हूँ 


राहुल उपाध्याय । 3 सितम्बर 2024 । गोरखपुर 



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