Monday, September 23, 2024

समंदर के अंदर एक तूफ़ान है

समंदर के अंदर एक तूफ़ान है

नटी के तट पर एक उफान है

हसरतें-चाहतें 

किसी एक की जागीर नहीं 

जितनी इधर हैं

उतनी उधर भी तो हैं


जीवन के पथ पर

ये कैसा मोड़ है

दिन हैं सुहाने

और मन मोर है 


मैं पाऊँ और न गाऊँ 

ये कैसी प्रीत है

बढ़-चढ़ कर बताऊँ 

ये मेरी रीत है


राहुल उपाध्याय । 24 सितम्बर 2024 । टोक्यो 


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