वह तब भी मुझे आप कहती थी
वह आज भी मुझे आप कहती है
वह तब भी मुझसे बात करती थी
वह आज भी मुझसे बात करती है
जाने क्या है मुझमें कि
मुझे जीलाए रखती है
ज़िन्दगी के हर मोड़ को
विस्तार से बयान करती है
मेरा वजूद बनाए रखती है
मुझसे न कुछ छुपाती है
मुझे अपना बनाए रखती है
न डरती है, न हिचकती है
मुझे दिल से लगाए रखती है
व्यस्त है ज़िन्दगी उसकी
और मेरा वो ध्यान रखती है
छोटी है उम्र में और
बुजुर्गों सा ख़याल रखती है
नायिका वो शरतचंद्र की
मुझे देवदास न होने देती है
वह तब भी मुझे आप कहती थी
वह आज भी मुझे आप कहती है
वह तब भी मुझसे बात करती थी
वह आज भी मुझसे बात करती है
राहुल उपाध्याय । 26 फरवरी 2025 । सिएटल
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