प्रतिद्वंद्वी हो जेल में
तो कैसी ये जीत है?
थाली बजाना
क्या कोई संगीत है?
मूरत रख देने से
क्या मंदिर बन जाता है?
यूँ ही पड़ा रहने से
शीशा पत्थर बन जाता है
वो पूजा कैसी पूजा है
जिस में प्रीत नहीं
यह कैसा सुर मंदिर है
जिस में संगीत नहीं
गीत लिखे दीवारों पे
गाने की रीत नहीं
(आनन्द बक्षी)
राहुल उपाध्याय । 9 फरवरी 2025 । सिएटल
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