Saturday, February 15, 2025

काँटे सारे ग़ायब हैं

काँटे सारे ग़ायब हैं

बस फूल ही फूल हैं

और सबसे बड़ा फूल तो मैं हूँ 

कब कितना बजा है

कुछ समझ नहीं आता है 

पाँच और दो आठ दिखते हैं 

एक और सात में कोई फ़र्क़ नहीं 

अलेक्सा भी 

सवा आठ, साढ़े आठ

बताती नहीं है

ये कैसी दुनिया है

जिसमें अंक ही अंक हैं

और अंक में भरता कोई नहीं है 


राहुल उपाध्याय । 15 फ़रवरी 2025 । सिएटल 



इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


0 comments: