Thursday, September 27, 2012

तुम बिन जाऊँ कहाँ

तुम बिन जाऊँ कहाँ
कि दुनिया में आके
गया नहीं
कभी कहीं
तुमको त्याग के ...


बढ़े जब दाम पेट्रोल के
लुट गई दुनिया
खाए जब धक्के बसों के
मिट गई खुशियाँ
तुम क्या जानो
कि भटकता फिरा
मैं किस-किस गली
तुमको त्याग के ...


देखो मुझे सर से कदम तक
थुलथुल माँस हूँ मैं
जाना हो दो कदम भी तो
जाता हांफ़ हूँ मैं
तुम क्या जानो
कि सिसकता रहा
मैं किस-किस घड़ी
तुमको त्याग के ...


रह भी सकूँगा मैं कैसे
हो के तुमसे जुदा
धूप, बरसात और 'स्नो' से
कैसे लड़ूँगा भला
आना होगा मुझे तेरी शरण
साथी मेरी
सूनी राह के


(मजरूह सुल्तानपुरी से क्षमायाचना सहित - वीडियो)
27 सितम्बर 2012
सिएटल ।
513-341-6798
=====
स्नो = snow

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Majrooh
parodies


2 comments:

Anonymous said...

ऐसी बातें न करिए... देश की अर्थव्यवस्था खराब है और पर्यावरण का भी बुरा हाल है. कुछ कार्बन-फ़ूटप्रिंट की तो सोचिये :)

Unknown said...

बहुत शानदार है

http://consumerfighter.com