Saturday, September 1, 2012

कर्ता और कारक

मैं हूँ एक भँवरा
और वो भी तो एक कली थी
हम दोनों की बातों में
कितनी रातें ढली थीं



आज भी वो मुझसे
पूछती है खोद-खोद के
किस कली को छेड़ा?
किस कली से बात की?
किस कली के ख़्बाब में
नींद उड़ी मेरे दिन-रात की?



क्या कहूँ मैं उसको?
और क्या छुपाऊँ उससे?
वो जो कभी मेरे
हर राज़ की हमराज़ थी



हम दोनों हैं ऐसे
जैसे एक जान दो तन हैं
किसी भी बात पे हममें
हुई नहीं अनबन है



बस एक बात है जिसपे
रहते हम असहमत हैं
कि
वो कली थी इसलिए
मुझमें भँवराहट हुई
या
मैं भँवरा था इसलिए
वो कली साकार हुई



सिएटल । 513-341-6798
1 सितम्बर 2012

इससे जुड़ीं अन्य प्रविष्ठियां भी पढ़ें


1 comments:

Anonymous said...

Sawaal gehra - jawaab mushkil!

Kavita ka title "karta aur karak" bhi achha laga!