Wednesday, March 21, 2018

तुम हो भी और नहीं भी

तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त 
तो मैं कब के बहा चुका हूँ
आग बहते पानी में लगा चुका हूँ

तुम जब तक मिली
तब तक कैमरे बंद हो चुके थे
इसलिए
एक भी फ़ोटो नहीं 
जिसे फाड़ सकूँ
एक भी नेगेटिव नहीं 
जिसे जला सकूँ

हाँ
सारे फ़ोटो 
डिलिट कर चुका हूँ
हर फोन से
हर यू-एस-बी ड्राईव से
हर फ़ोल्डर से
यहाँ तक कि
ट्रैश और डिलिटेड आईटम्स
वाले फ़ोल्डर से भी
हमेशा-हमेशा के लिए
डिलिट कर चुका हूँ

लेकिन 
सुना है कि
क्लाउड में फ़ोटो 
डिलिट होकर भी डिलिट नहीं होते

जब कभी
बरसात होती है
सराबोर हो जाता हूँ
तुम्हारे 
पिक्सेल्स में 

कितना भी नहाऊँ 
कितना भी पोछूँ 
तुम कहीं कहीं छूट ही जाती हो
कार के वाईपर्स में 
साईड मिरर्स पर
बालकनी के कोने में 

जब कभी इन्द्रधनुष देखता हूँ
तो सोचता हूँ
तुम यह भी हो और वह भी
तुम हो भी और नहीं भी

राहुल उपाध्याय | 22 मार्च 2018 | सैलाना

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