तेरी ख़ुशबू में बसे ख़त
तो मैं कब के बहा चुका हूँ
आग बहते पानी में लगा चुका हूँ
तुम जब तक मिली
तब तक कैमरे बंद हो चुके थे
इसलिए
एक भी फ़ोटो नहीं
जिसे फाड़ सकूँ
एक भी नेगेटिव नहीं
जिसे जला सकूँ
हाँ
सारे फ़ोटो
डिलिट कर चुका हूँ
हर फोन से
हर यू-एस-बी ड्राईव से
हर फ़ोल्डर से
यहाँ तक कि
ट्रैश और डिलिटेड आईटम्स
वाले फ़ोल्डर से भी
हमेशा-हमेशा के लिए
डिलिट कर चुका हूँ
लेकिन
सुना है कि
क्लाउड में फ़ोटो
डिलिट होकर भी डिलिट नहीं होते
जब कभी
बरसात होती है
सराबोर हो जाता हूँ
तुम्हारे
पिक्सेल्स में
कितना भी नहाऊँ
कितना भी पोछूँ
तुम कहीं न कहीं छूट ही जाती हो
कार के वाईपर्स में
साईड मिरर्स पर
बालकनी के कोने में
जब कभी इन्द्रधनुष देखता हूँ
तो सोचता हूँ
तुम यह भी हो और वह भी
तुम हो भी और नहीं भी
राहुल उपाध्याय | 22 मार्च 2018 | सैलाना
1 comments:
wow sir
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