Tuesday, March 27, 2018

ज़िन्दगी इतनी बुरी भी नहीं है

समन्दर चाहे
कि वह कविता लिखे
जिसके लिए लिखे
वह उसे पढ़े 

लेकिन कैसे?
शब्द विचित्र हैं
कई मायने रखते हैं
दो शब्द जुड़ जाए
तो मायने गुणात्मक हो जाते हैं

समन्दर चाहे
कि वह गीत गाए
जिसके लिए गाए
वह उसे सुने

लेकिन कैसे?
सारे गीत एक से हैं
अरिजित सिंह से लेकर किशोर तक
रहमान से लेकर ख़य्याम तक
भाव सीमित हैं

समन्दर चाहे
कि वह जमकर रोए
खारेपन में ख़ुद को डूबोए

तीन में से एक में सफलता
ज़िन्दगी इतनी बुरी भी नहीं है 

28 मार्च 2018

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