तू कान लगाकर मेरे दिल की धड़कन सुने
तेरे गैसूओं की ख़ुशबू मेरी साँसों में बसे
तो
सूकून है
चैन है
शांति है
वरना
वीराने में भी
अशांति है
तेरी शाम मेरी सुबह से मिले
तेरी रात मेरे दिन से
मैं रहूँ न रहूँ
मेरी रूह तेरे साथ चले
तो समझूँगा
कि जीवन जिया था मैंने
नाहक ही नहीं सम्बन्धों को सीया था मैंने
ख़ाली हाथ आया हूँ
ख़ाली हाथ जाऊँगा
लेकिन इतना संतोष है कि
इन्हीं हाथों से
तेरी ज़ुल्फ़ों को सहलाया है मैंने
उड़ते दुपट्टे को थामा है मैंने
रस्ते चलते ऑटो को रोका है मैंने
शब्दों में तेरे अक्स को उतारा है मैंने
राम नाम तो जपा नहीं
ढाई आखर आख़िर पढ़ ही गया
हीरा जन्म अमोल है
अमोल की क़ीमत वसूल कर ही गया
0 comments:
Post a Comment