काश तुम होती
मेरे पाठ्यक्रम में
ताकि नम्बर चाहे अच्छे मिल जाते
लेकिन अंतत: तुम्हें मैं भूल ही जाता
काश तुम होती
आचार संहिता में
जो लगती तो अच्छी
लेकिन तुम्हें मैं आत्मसात न कर पाता
काश तुम होती
सिगरेट पैकेट की चेतावनी
जिसे पढ़कर भी समझने की
मैं कोशिश न करता
काश तुम होती
ऐप डाउनलोड करते वक़्त खुलती
नियमों और शर्तों की एक लम्बी फ़ेहरिस्त
जिसे बना पढ़े मैं हामी भरकर
आगे बढ़ जाता
काश तुम होती
वह सब
जिनका मेरे जीवन में
कोई मूल्य न होता
लेकिन
तुम हो कि
हो हवा, पानी, बरसात, चाँद
और न जाने क्या-क्या कुछ
जिनका होना न होना
मेरे हाथ में नहीं
29 मार्च 2018
1 comments:
हवा, पानी के बगैर जिंदगी भी तो जिंदगी नहीं हो सकती
बहुत सुन्दर
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