मेरे शहर आया एक नन्हा वायरस
चीन से प्लेन पे हो के सवार
उसके हाथों में हैं हम सबके प्राण
उसके नाम से ही काँपे हम और आप
जब हटेगा, जब मिटेगा वो
तब जा के आएगी साँस में साँस
उसके आने से मेरे जीवन में
उड़ गया चैन, छीन गया है क़रार
हाथ धो कर भी जी नहीं भरता
चाहे धोऊँ उसे हज़ारों बार
व्हाट्सैप पे मिले तो पूछूँ मैं
क्यूँ है ख़फ़ा, क्यूँ तू इतना ख़ूँख़ार?
क्या बिगाड़ा है हमने तेरा जो
कर रहा वार पे वार बेशुमार
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 3 मार्च 2020 । सिएटल
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