हाथ धो कर जो पीछे पड़ा है
हाथ धो कर उससे निजात पाओ
लोहा ही लोहे को काटता है
डॉक्टर ने कहा उपाय यही है
कर्मकाण्ड में विश्वास है जिनको
कहते ऋषि-मुनि का श्राप यही है
जपो निरन्तर हनुमत बीरा
हर मर्ज़ का इलाज यही है
एक दिन ऐसा आएगा
इंसान इंसान से कतराएगा
नास्त्रेदमस का नाम जो हैं जानते
कहते लिखा उसने साफ़ यही है
जितने मुँह उतनी बातें
इसकी-उसकी-किसकी माने?
नक़ाब चढ़ाए, घर सील करें?
बचने की क्या अब राह यही है?
संचार के माध्यम हैं कुछ इतने पक्के
कि किसी को किसी से मिलने की चाह नहीं है
सुबह-शाम व्हाट्सैप पे करें गुड मार्निंग
कोरोना के युग का सच मात्र यही है
बाज़ार से आटा-चावल-दाल हैं गायब
सब के घर के भंडार भरे हैं
कल को जब प्रलय आएगा
भूखें न मरें बस प्रयास यही है
राहुल उपाध्याय । 1 मार्च 2020 । सिएटल
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सुन्दर रचना
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