हम भी चोर, वे भी चोर
ऐसी-कैसी लगी ये होड़
हम तो समझे वे हैं संत
लोक-लाज का उनको भय
कीचड़-वीचड़ रोज़ उछले
लोकतंत्र की ये कैसी दौड़
गोली खाई, अजेय बन गए
डिबेट हुआ, धूल खा गए
पोल पे पोल दोनों हारे
रोज़-रोज़ कोई नया है मोड़
होगा चुनाव, आएगा कोई
किसी बात पे हारेगा कोई
हैं चुनाव के ये गोरख धंधे
यही है सार, यही निचोड़
जो भी जीते, भारत जीते
देश हित में सारे नतीजे
एक तरफ़ है कमला नारी
दूजी तरफ़ है ट्रम्प बेजोड़
राहुल उपाध्याय । 15 सितम्बर 2024 । उज्जैन
2 comments:
सुन्दर
बढ़िया
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