देखा है एन-आर-आई को कुछ इतना समीप से
धन-सम्पदा है लाख मगर लगते गरीब से
धन से है कितना मोह ज़रा देख लीजिए
तेल बेचने लगे हैं अपने घर के प्रदीप से
सोचा था लौट आएंगे वापस वो एक दिन
अभी तक भटक रहे हैं किसी बदनसीब से
मणि मिले तो चाट ले चमड़ी गोरों की
चाहे पड़े रहे परिजन लाचार निर्जीव से
स्वार्थ और लोभ की ये ज़िन्दा मिसाल हैं
समाज से कटे-कटे रहते हैं द्वीप से
इनकी वफ़ा की लाश को आओ विदा करें
दे कर के पासपोर्ट जो मिला है रकीब से
होता न राहुल एन-आर-आई तो होता क्या भला
एन-आर-आई न टंगे दिखते यूँ इक सलीब से
सिएटल,
16 सितम्बर 2008
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
==========================
मिसाल = उदाहरण
रकीब = दुश्मन
सलीब = सूली
धन-सम्पदा है लाख मगर लगते गरीब से
धन से है कितना मोह ज़रा देख लीजिए
तेल बेचने लगे हैं अपने घर के प्रदीप से
सोचा था लौट आएंगे वापस वो एक दिन
अभी तक भटक रहे हैं किसी बदनसीब से
मणि मिले तो चाट ले चमड़ी गोरों की
चाहे पड़े रहे परिजन लाचार निर्जीव से
स्वार्थ और लोभ की ये ज़िन्दा मिसाल हैं
समाज से कटे-कटे रहते हैं द्वीप से
इनकी वफ़ा की लाश को आओ विदा करें
दे कर के पासपोर्ट जो मिला है रकीब से
होता न राहुल एन-आर-आई तो होता क्या भला
एन-आर-आई न टंगे दिखते यूँ इक सलीब से
सिएटल,
16 सितम्बर 2008
(साहिर से क्षमायाचना सहित)
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मिसाल = उदाहरण
रकीब = दुश्मन
सलीब = सूली
 
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2 comments:
हमने त नहीं देखा..काहे झूठ बोलें.. हम तो हिन्दुस्तानी को हिन्दुस्तानी ही मानते हैं..वो लाख सोचे कि एन आर ई है. :)
parody me nri ko aaina dikha diya hai
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