हम अमरीका में रहते हैं
तीस हज़ार की गाड़ी है
और पांच-दस पैसे सस्ती कहीं गैस मिल जाए
इस चक्कर में मारे-मारे फिरते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
सात लाख का घर है
लेकिन माली के लिए पैसे नहीं हैं
मरे हुए सूखे पत्ते लॉन में फ़ड़फ़ड़ाते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
हज़ारों-लाखों की आय है
लेकिन मुफ़्त में खाना मिले
तो एक घंटे तक प्रवचन सुनते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
तीन हज़ार स्क्वेयर फ़ीट का घर है
और कोई अगर आ जाए
तो वे कहाँ रहेंगे यहीं सोचते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
एक कार-फ़ैक्स एकाउंट को
दस-दस लोग शेयर करते हैं
एक कॉस्टको कार्ड के लिए
दूसरा साथी ढूंढते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
कब किस कॉलिंग कार्ड पर
दस डॉलर का रिबेट मिलेगा
दु्निया भर से पूछते रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
घर में ढेर सारी आईस-क्रीम है
लेकिन बास्किन राबिन्स
एक फ़्री स्कूप दे दे तो
नुक्कड़ तक हम लाईन लगाए रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
हम रुपयों के लिए यहाँ आए थे
और जैसे-जैसे वे हमें मिलते जाते हैं
हम उनके लिए और उतावले बने रहते हैं
हम अमरीका में रहते हैं
सिएटल,
25 जुलाई 2008
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गैस = gas, gasoline, petrol
तीन हज़ार स्क्वेयर फ़ीट = 3000 sq. ft.
कार-फ़ैक्स एकाउंट = car-fax account
शेयर = share
कॉस्टको कार्ड = costco card
कॉलिंग कार्ड = calling card
रिबेट = rebate
आईस-क्रीम = ice cream
बास्किन राबिन्स = Baskin Robbins
फ़्री स्कूप = free scoop
उतावले = impatient
Friday, July 25, 2008
हम अमरीका में रहते हैं
Posted by Rahul Upadhyaya at 3:43 PM
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Labels: Anatomy of an NRI, August Read, nri, TG
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6 comments:
Wo chhoot gaya,
sale pe saman lene ke liye Thanksgiving day pe aadhi raat ko line laga ke subah store khulane ka intzaar karte hai.
Waise Sach bolna buri aadat hai, Is aadat ko badal daalo.
vah vah.......
बहुत बढिया!
जरुर पढें दिशाएं पर क्लिक करें ।
राहुल जी
ये मानसिकता है...इंसान की जो कभी नहीं बदलती...चाहे आप अमेरिका में हों भारत में हों जापान में हो आस्ट्रेलिया में हों या अफ्रीका में...कहीं भी हों...जगह से क्या फरक पढता है जी.
नीरज
बहुत खूब--सच कहा आपने-
अमेरिका आकर हम बदल थोड़े ही जातें है.
man bhari sa ho gaya हम अमरीका में रहते हैं nai kavita pad kar. ..aapko shubh kamnayenn
Dinesh Kandpal
kandpal.dinesh@gmail.com
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