फूलों के रंग से,
गंदी कलम से
मुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ,
किस किस तरह से
पल पल मुझे ये सताती
इसके ही डर से
मैं लॉगिन न करता
इसके ही भय से मैं कांपू
इसकी वजह से
कतराया सब से
जैसे कि समंदर में टापू
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
हाँ, इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
एम-पी-3 की फ़ाईल्स,
फ़्लिकर के फोटों,
यू-ट्यूब के विडियो
भर भर के हरदम
हर एक ई-मेल में,
भेजे हज़ारों मुझको
सुबह का वक़्त हो
शाम का वक़्त हो
संडे हो या हो मंडे
याद ये आए,
बदबू ले आए
जैसे सड़े हो अंडे
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
पूरब हो पश्चिम,
उत्तर हो दक्षिण,
हर जगह गंदी ई-मेल सताए
जितने ही ऐकाऊंट
मैं क्यों न बदलू,
ये पीछे पीछे आ ही जाए
ट्रेश में डाला,
स्पैम में फ़ेंका,
कई तरह के फ़िल्टर्स लगाए
हिम्मत इसकी,
लेकिन कि ये
सब को मात देती ही जाए
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
सिएटल,
19 जुलाई 2008
(नीरज से क्षमायाचना सहित)
=======================
लॉगिन = login
टापू =island
गुगल =google
याहू = yahoo
एम-एस-एन = msn
ए-ओ-एल = aol
ऐकाऊंट =account
ई-मेल्स =emails
एम-पी-3 की फ़ाईल्स = mp3 files
फ़्लिकर = flickr
यू-ट्यूब के विडियो = YouTube videos
संडे = Sunday
मंडे = Monday
ट्रैश = trash folder
स्पैम = spam folder
फ़िल्टर्स = filters
गंदी कलम से
मुझको लिखी रोज़ पाती
कैसे बताऊँ,
किस किस तरह से
पल पल मुझे ये सताती
इसके ही डर से
मैं लॉगिन न करता
इसके ही भय से मैं कांपू
इसकी वजह से
कतराया सब से
जैसे कि समंदर में टापू
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
हाँ, इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
एम-पी-3 की फ़ाईल्स,
फ़्लिकर के फोटों,
यू-ट्यूब के विडियो
भर भर के हरदम
हर एक ई-मेल में,
भेजे हज़ारों मुझको
सुबह का वक़्त हो
शाम का वक़्त हो
संडे हो या हो मंडे
याद ये आए,
बदबू ले आए
जैसे सड़े हो अंडे
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
पूरब हो पश्चिम,
उत्तर हो दक्षिण,
हर जगह गंदी ई-मेल सताए
जितने ही ऐकाऊंट
मैं क्यों न बदलू,
ये पीछे पीछे आ ही जाए
ट्रेश में डाला,
स्पैम में फ़ेंका,
कई तरह के फ़िल्टर्स लगाए
हिम्मत इसकी,
लेकिन कि ये
सब को मात देती ही जाए
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
सिएटल,
19 जुलाई 2008
(नीरज से क्षमायाचना सहित)
=======================
लॉगिन = login
टापू =island
गुगल =google
याहू = yahoo
एम-एस-एन = msn
ए-ओ-एल = aol
ऐकाऊंट =account
ई-मेल्स =emails
एम-पी-3 की फ़ाईल्स = mp3 files
फ़्लिकर = flickr
यू-ट्यूब के विडियो = YouTube videos
संडे = Sunday
मंडे = Monday
ट्रैश = trash folder
स्पैम = spam folder
फ़िल्टर्स = filters
1 comments:
हाँ, गुगल, याहू, एम-एस-एन, ए-ओ-एल सब के सब बेकार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
इतनी गंदी इतनी अश्लील होती थी ई-मेल्स की बौछार
बदलना पड़ा ऐकाऊंट हमें कई कई बार
yes, we are having this same problem with your poems... They are becoming boring and monotonous. Some are gems, but we really have to look for them. A hint -- dont post for a month. This would be a favor to you and all of us.
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