हमसे का भूल हुई
जो हमें यातनाएँ मिली
अब तो चारों ही तरफ़
सस्ती कविताएँ मिली
फिर नज़र भी न पड़े
हमने बस इतना चाहा
ब्लॉग से दूर रहे,
ग्रुप से बचना चाहा
इसका फ़ायदा न हुआ
ई-मेल्स से रचनाएँ मिली
हम पे इलज़ाम ये है
बोर को क्यूँ बोर कहा
कविता को बकवास कहा
क्यूँ न कुछ और कहा
उलटा अनपढ़ गँवार
जैसी हमें उपमाएँ मिली
अब तो तुलसी कबीर सा
कोई कवि ही नहीं
जो सच बोल सके
ऐसा कोई भी नहीं
हर महफ़िल में हर तरफ़
झूठी तारीफ़ों की सदाएँ मिली
हमें आप माफ़ करें
आप अपना ब्लॉग लिखें
किसी को ज़ीरो लिखें
किसी को गॉड लिखें
ख़ुदा ही आपकी खैर करे
जो आपको ऐसी भावनाएँ मिली
गलती से हमें अगर
कहीं ख़ुदा दिख जाए
तो पूछूंगा आप भला
ये सब कैसे लिख पाए
जबकि आपको हमारी
लाखों-करोड़ों बद-दुआएँ मिली
सिएटल,
17 जुलाई 2008
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
==================
ब्लॉग = blog
ग्रुप =group
ई-मेल्स = emails
बोर = bore, ऊबाऊ
सदाएँ = गूँज, प्रतिध्वनि, आवाज
ज़ीरो =zero
गॉड =God
जो हमें यातनाएँ मिली
अब तो चारों ही तरफ़
सस्ती कविताएँ मिली
फिर नज़र भी न पड़े
हमने बस इतना चाहा
ब्लॉग से दूर रहे,
ग्रुप से बचना चाहा
इसका फ़ायदा न हुआ
ई-मेल्स से रचनाएँ मिली
हम पे इलज़ाम ये है
बोर को क्यूँ बोर कहा
कविता को बकवास कहा
क्यूँ न कुछ और कहा
उलटा अनपढ़ गँवार
जैसी हमें उपमाएँ मिली
अब तो तुलसी कबीर सा
कोई कवि ही नहीं
जो सच बोल सके
ऐसा कोई भी नहीं
हर महफ़िल में हर तरफ़
झूठी तारीफ़ों की सदाएँ मिली
हमें आप माफ़ करें
आप अपना ब्लॉग लिखें
किसी को ज़ीरो लिखें
किसी को गॉड लिखें
ख़ुदा ही आपकी खैर करे
जो आपको ऐसी भावनाएँ मिली
गलती से हमें अगर
कहीं ख़ुदा दिख जाए
तो पूछूंगा आप भला
ये सब कैसे लिख पाए
जबकि आपको हमारी
लाखों-करोड़ों बद-दुआएँ मिली
सिएटल,
17 जुलाई 2008
(मजरूह से क्षमायाचना सहित)
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ब्लॉग = blog
ग्रुप =group
ई-मेल्स = emails
बोर = bore, ऊबाऊ
सदाएँ = गूँज, प्रतिध्वनि, आवाज
ज़ीरो =zero
गॉड =God
1 comments:
क्या बात है आज बड़े उत्तेजित हैं! फिर एक बढ़िया काव्य!
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