दवात से पीती तो होती क़लम
ओक से पीती तो होती गँवार
उसके होंठों से पी कर
हुई तू इश्क़ में बीमार
उसके बातों की खुशबू
उसके वादों का ख़ुमार
बढ़ाता जाए
तेरे इश्क़ का बुखार
बेवफ़ा है तू
और बेवफ़ा है वो
चलो एक दूसरे से
तो है प्यार बेशुमार
न मीरा ये समझा
न राधा ये समझा
ये ज़माना क्या समझेगा
तेरा बावला व्यवहार
कि टंकी भले ही
लबालब भरी हो
दिल को लुभाए
बारिश की फ़ुहार
'राहुल' की दुआएं है
हमेशा तेरे साथ
जिसे तू चाहे
तू कर उससे प्यार
सिएटल,
7 जुलाई 2008
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दवात = ink pot
ओक = अंजुली भरना
Monday, July 7, 2008
इश्क़ की बीमारी
Posted by Rahul Upadhyaya at 6:50 PM
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Labels: valentine
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