Monday, July 7, 2008

इश्क़ की बीमारी

दवात से पीती तो होती क़लम
ओक से पीती तो होती गँवार
उसके होंठों से पी कर
हुई तू इश्क़ में बीमार

उसके बातों की खुशबू
उसके वादों का ख़ुमार
बढ़ाता जाए
तेरे इश्क़ का बुखार

बेवफ़ा है तू
और बेवफ़ा है वो
चलो एक दूसरे से
तो है प्यार बेशुमार

न मीरा ये समझा
न राधा ये समझा
ये ज़माना क्या समझेगा
तेरा बावला व्यवहार

कि टंकी भले ही
लबालब भरी हो
दिल को लुभाए
बारिश की फ़ुहार

'राहुल' की दुआएं है
हमेशा तेरे साथ
जिसे तू चाहे
तू कर उससे प्यार

सिएटल,
7 जुलाई 2008
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दवात = ink pot
ओक = अंजुली भरना

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