हम तुमसे जुदा हो के
मस्त रहते हैं सो सो के
लड़कियाँ बड़ी फ़्रेंडली है
दिल खोल के हँसती है
हर रोज नई तितली
मेरे साथ फ़ुदकती है
लेती न कोई वादें
देती न कोई धोखें
बर्तन नहीं फूटते हैं
ताने नहीं सुनते हैं
जो मन करें हम वो
गाने सभी सुनते हैं
न कोई हमें रोके
न कोई हमें टोके
डरता था कभी ईश्वर
हम पर न फ़िदा होंगे
मालूम न था हम यूँ
इस तरह जुदा होंगे
किस्मत ने दिए मौके
रहे हम दो से एक हो के
सिएटल,
12 जुलाई 2008
(असद भोपाली से क्षमायाचना सहित)
=================================
फ़्रेंडली = friendly
मस्त रहते हैं सो सो के
लड़कियाँ बड़ी फ़्रेंडली है
दिल खोल के हँसती है
हर रोज नई तितली
मेरे साथ फ़ुदकती है
लेती न कोई वादें
देती न कोई धोखें
बर्तन नहीं फूटते हैं
ताने नहीं सुनते हैं
जो मन करें हम वो
गाने सभी सुनते हैं
न कोई हमें रोके
न कोई हमें टोके
डरता था कभी ईश्वर
हम पर न फ़िदा होंगे
मालूम न था हम यूँ
इस तरह जुदा होंगे
किस्मत ने दिए मौके
रहे हम दो से एक हो के
सिएटल,
12 जुलाई 2008
(असद भोपाली से क्षमायाचना सहित)
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फ़्रेंडली = friendly
3 comments:
sahi hai. jari rhe.
अच्छी रचना। लिखते रहें।
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