Monday, July 7, 2008

कभी कभी दुआओं का जवाब आता है


कभी कभी दुआओं का जवाब आता है
और कुछ इस तरह कि बेहिसाब आता है

यूँ तो प्यासा ही जाता है अक्सर सागर के पास
मगर कभी कभी सागर बन कर सैलाब आता है

ढूंढते रहते हैं जो फ़ुरसत के रात दिन
हो जाते हैं पस्त जब पर्चा रंग-ए-गुलाब आता है

दो दिलों के बीच पर्दा बड़ी आफ़त है
तौबा तौबा जब माशूक बेनक़ाब आता है

पराए भी अपनों की तरह पेश आते हैं 'राहुल'
वक़्त कभी कभी ऐसा भी खराब आता है


सेन फ़्रंसिस्को,
2003
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सैलाब = floods
पर्चा रंग-ए-गुलाब= pink slip, notice of dismissal from one's job

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