Saturday, May 30, 2009

मिमिया रहा है काव्य

चीख रहे हैं चित्र सारे
मिमिया रहा है काव्य
रंगों की नुमाईश है
साहित्य का दुर्भाग्य

शब्द के बल पर जो कह देती थी
अपने मन की बात
पिक्सल-पिक्सल मर रही है
फोटोशॉप्पर के हाथ

माँ एक ऐसा शब्द है
जिसमें सैकड़ो अर्थ निहित
फोटो जोड़ा साथ में
अर्थ हुए सीमित

जिसे पढ़ के सुन के होते थे
पाठक-श्रोता भाव-विभोर
पलट-पलट के ग्लॉसी पन्ने
हो रहे हैं बोरम्-बोर

एक हज़ार शब्द के बराबर
होता होगा एक अकेला चित्र
लेकिन एक भी ऐसा चित्र नहीं
जो समझा सके कबीर का कवित्त

बड़ा हुआ तो क्या हुआ
जैसे पेड़ खजूर
लिखते आज कबीर तो क्या
साथ में होता पेड़ हुज़ूर?

सिएटल 425-445-0827
30 मई 2009
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पिक्सल = pixel ; फोटोशॉप्पर = photoshopper;
ग्लॉसी = glossy; बोर = bore

Friday, May 29, 2009

जय रघुबीर

बात-बात पर आप क्यूँ
मचा रहें उत्पात
पहले सम्हालिए देवता
फिर करें नेताओं की बात

जिन्हें आप हैं पूजते
वे भी करते थे भाई-भतीजावाद
कैकयी की एक ज़िद पर
कर दिया अयोध्या बर्बाद

कैकयी जिन्हें थी चाहतीं
वे ही बने युवराज
सोनिया जिन्हें हैं चाहतीं
क्यों न करें वे राज?

सोनिया की भारतीयता पर
उचित नहीं कोई प्रहार
कैकयी भी नहीं थीं रघुवंश की
वे थीं एक पराई नार

न कृष्ण ने पूजा राम को
न अर्जुन गए राम-मंदिर
फिर भी आप आज भी
क्यों भजते हैं जय रघुबीर?

त्रेतायुग हो, द्वापर युग हो
या फिर हो सतयुग
हर युग का अपना एक ढंग है
हर युग का है एक रूप

समय के साथ जो चलते रहें
पहनें उन्होंने हार
लकीर के फ़कीर जो बने रहें
उन्हें मिली है हार

सिएटल 425-445-0827
29 मई 2009

Wednesday, May 27, 2009

टर्मिनल पेशेंट

कुत्ते हैं
लेकिन एक भी कुत्ता
यहाँ भोंकता नहीं है
पेड़ हैं
लेकिन एक भी पेड़
यहाँ कचरा करता नहीं है

शांति और सफ़ाई के
इस वातावरण में
मैं रहता हूँ ऐसे
जैसे अस्पताल में
रहता हो कोई

खाता हूँ
पीता हूँ
पढ़ता हूँ
सोता हूँ

मनोरंजन के लिए
कभी-कभार देख लेता हूँ टी-वी
बमबारी की ख़बरें देख कर
ख़ुद को रोक पाता नही हूँ
उठाता हूँ रिमोट
और बदल देता हूँ चैनल

मैं
कचरे के डब्बे में बंद
एक सड़ता हुआ पत्ता नहीं हूँ
मैं
मालकिन की गोद में
सोता हुआ एक कुत्ता नहीं हूँ

मैं हूँ इन सबसे अलग

मैं हूँ इन सबसे अलग
एक टर्मिनल पेशेंट
ये अलग बात है कि
दिखने में ऐसा
मैं लगता नहीं हूँ

सिएटल 425-445-0827
27 मई 2009
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टर्मिनल पेशेंट =terminal patient;
टी-वी = TV; रिमोट = remote ; चैनल = channel

Friday, May 22, 2009

मैं कायर तो नहीं

मैं कायर तो नहीं
मगर जबसे घर छोड़ा मैंने
तबसे मुझमें कायरता आ गई
मैं गद्दार तो नहीं
मगर जबसे घर छोड़ा मैंने
तबसे मुझमें गद्दारी आ गई

डॉलर का नाम मैंने सुना था मगर
डॉलर क्या है ये मुझको नहीं थी ख़बर
मैं तो
चिपका रहा इससे जोंक की तरह
दुम हिलाता रहा
पालतू कुत्तों की तरह
मैं गरीब तो नहीं
मगर जबसे घर छोड़ा मैंने
तबसे मुझमें दीनता आ गई

सोचता हूँ अगर मैं बुरा मानता
हाथ अपने फ़ैला कर न यूँ भागता
घर पे रहता अन्य परिजनों की तरह
दर-दर न भटकता भीखमंगों की तरह
मैं बेशर्म तो नहीं
मगर जबसे घर छोड़ा मैंने
तबसे मुझमें बेशर्मी आ गई

रात-दिन फ़्री के चक्कर में रहता हूँ मैं
चाराने-आठाने के कूपन लिए फ़िरता हूँ मैं
लाईब्रेरी जा के डी-वी-डी लाता हूँ मैं
मंदिर जा के खाना खा आता हूँ मैं
मैं कंजूस तो नहीं
मगर जबसे घर छोड़ा मैंने
तबसे मुझमें कंजूसी आ गई

सिएटल 425-898-9325
22 मई 2009
(
आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)
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डॉलर = dollar; कूपन = coupon; फ़्री = free; लाईब्रेरी = library; डी-वी-डी = DVD

Thursday, May 21, 2009

अडवाणी जी की अडवांस्ड ऐज

अडवाणी जी की अडवांस्ड ऐज
रह गई मलती हाथ
सोनिया गाँधी जीत गई
हिला-हिला कर हाथ

आठ घंटे जो काम करे
और दो मिनट में पूजा-पाठ
ऐसे कर्मरत इंसान को
कभी धर्म सके न बाँट

हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई का
सब का एक ही ख़्वाब
खाने को रोटी मिले
और मिले हाई-इनकम जॉब

आई-पॉड को देखिए
मिटा रहा सारे भेद
पंडित-मौलवी-पादरी
सब को चाहिए एक

बन सके तो बनिए
आई-पॉड के जैसे दो तार
जिन्हें दलित-ब्राह्मण-बनिए
सब खुशी-खुशी करें स्वीकार

सिएटल 425-898-9325
21 मई 2009
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अडवांस्ड ऐज = advanced age
हाई-इनकम जॉब = high-income job
आई-पॉड = iPod

Saturday, May 9, 2009

मैं अपनी माँ से दूर

मैं अपनी माँ से दूर अमेरिका में रहता हूँ
बहुत खुश हूँ यहाँ मैं उससे कहता हूँ

हर हफ़्ते
मैं उसका हाल पूछता हूँ
और अपना हाल सुनाता हूँ

सुनो माँ,
कुछ दिन पहले
हम ग्राँड केन्यन गए थे
कुछ दिन बाद
हम विक्टोरिया-वेन्कूवर जाएगें
दिसम्बर में हम केन्कून गए थे
और जून में माउंट रेनियर जाने का विचार है

देखो न माँ,
ये कितना बड़ा देश है
और यहाँ देखने को कितना कुछ है
चाहे दूर हो या पास
गाड़ी उठाई और पहुँच गए
फोन घुमाया
कम्प्यूटर का बटन दबाया
और प्लेन का टिकट, होटल आदि
सब मिनटों में तैयार है

तुम आओगी न माँ
तो मैं तुम्हे भी सब दिखलाऊँगा

लेकिन
यह सच नहीं बता पाता हूँ कि
20 मील की दूरी पर रहने वालो से
मैं तुम्हें नहीं मिला पाऊँगा
क्यूंकि कहने को तो हैं मेरे दोस्त
लेकिन मैं खुद उनसे कभी-कभार ही मिल पाता हूँ

माँ खुश है कि
मैं यहाँ मंदिर भी जाता हूँ
लेकिन
मैं यह सच कहने का साहस नहीं जुटा पाता हूँ
कि मैं वहाँ पूजा नहीं
सिर्फ़ पेट-पूजा ही कर पाता हूँ

बार बार उसे जताता हूँ कि
मेरे पास एक बड़ा घर है
यार्ड है
लाँन में हरी-हरी घास है
न चिंता है
न फ़िक्र है
हर चीज मेरे पास है
लेकिन
सच नहीं बता पाता हूँ कि
मुझे किसी न किसी कमी का
हर वक्त रहता अहसास है

न काम की है दिक्कत
न ट्रैफ़िक की है झिकझिक
लेकिन हर रात
एक नए कल की
आशंका से घिर जाता हूँ
आधी रात को नींद खुलने पर
घबरा के बैठ जाता हूँ

मैं लिखता हूँ कविताएँ
लोगो को सुनाता हूँ
लेकिन
मैं यह कविता
अपनी माँ को ही नहीं सुना पाता हूँ

लोग हँसते हैं
मैं रोता हूँ

मैं अपनी माँ से दूर अमेरिका में रहता हूँ
बहुत खुश हूँ यहाँ मैं उससे कहता हूँ

Friday, May 8, 2009

मैं जहाँ रहूँ

मैं जहाँ रहूँ, मैं कहीं भी हूँ, ये मेरे साथ है
किसी से कहूँ, मैं जो भी कहूँ, ये सुन लेता हर बात है
कहने को साथ अपने एक दुनिया चलती है
पर खुद के सेल-फोन में उलझी ही रहती है
लिए फोन कान पे, लिए फोन हाथ में …

कहीं तो कोई पत्नी से डर-डर के बात करता है
कहीं तो कोई प्रेयसी से मीठी-मीठी बात कहता है
कहीं पे कोई चिल्ला-चिल्ला के तू-तू मैं-मैं करता है
कहीं पे कोई दबी ऊंगलियों से चुपचाप एस-एम-एस करता है
कहने को साथ अपने …

कहीं तो कोई हर दो मिनट में ई-मेल चेक करता है
कहीं तो कोई हेड-सेट से दिन भर गाने सुनता है
कोई पार्टी में जा के भी ब्लू टूथ से चिपका रहता है
आ कर मेरे घर किसी और से ही बात करता रहता है
कहने को साथ अपने …

सिएटल 425-445-0827
8 मई 2009
(
जावेद अख़्तर से क्षमायाचना सहित)

Monday, May 4, 2009

स्वाइन फ़्लू

शौक से बनाया था हमने चमन में घर
हाथ फूल गए जब पड़ी केंचुओं पे नज़र

एच-वन का टेंशन, एच-वन-एन-वन का डर
ले-ऑफ़ है सर पर, और बिके न घर

कभी सुअर मारे, कभी शेयर गिरे
कदम-कदम पर गाज गिरे

रातो-रात मात दे गया स्वाइन फ़्लू
शिकारी को शिकार कर गया बेआबरू

कर दी है बोलती कुछ इस तरह से बंद
कि रहता है मुँह पे अब सदा पैबंद

हाथ धो के ऐसे पीछे कुछ रोग पड़े
कि हाथ धो-धो के परेशां हैं बच्चे बड़े

वैसे भी मिलने-जुलने से कतराते थे लोग
अब तो हाथ मिलाने से भी घबराते हैं लोग

सिएटल 425-445-0827
4 मई 2009
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स्वाइन फ़्लू = swine flu; एच-वन = H1;
टेंशन = tension; एच-वन-एन-वन = H1N1 ;
ले-ऑफ़ = lay off;