Friday, September 11, 2009

तुम्हारी सेहत

आओगे तुम तो, तुमसे करवाएंगे काम
बागों में बगीचों में तुमसे डलवाएंगे खाद
होटलों के गंदे कमरे तुमसे करवाएंगे साफ़
डाक्टरों की वर्दियाँ भी तुमसे करवाएंगे तैयार
लेकिन तुम्हारी सेहत का न कभी कोई होगा जिम्मेदार

वैध-अवैध के चक्कर में कुछ ऐसे फ़सें वैद्य-साहूकार
कि देशवासियों को छोड़ के करते दुनिया का उपचार
आज नाईजिरिया तो कल ईथियोपिया का करते जीर्णोंद्धार
और दूर-दराज के गाँव में जा के देते टीकों का उपहार
लेकिन तुम्हारी सेहत के न वे कभी बनते जिम्मेदार

वैध-अवैध का भेद न देखें, जब जम कर कर लेती सरकार
काम कराए और खूब कराए, कम वेतन पे साहूकार
जो भी चाहो हम से ले लो, पल पल ललचाते बाज़ार
पैसा-कौड़ी पास नहीं तो ले लो किश्तों पे उधार
लेकिन तुम्हारी सेहत का न कभी कोई होगा जिम्मेदार

बेटा वैध, बाप अवैध, जहाँ कहता हो संविधान
कागज़ के पुर्जो पे निर्भर जहाँ हो इंसानों की जान
दूसरों की ज़मी छीन के जहाँ पर बनते हो मकान
उस जहाँ के बाशिंदे क्या समझेंगे क्या होता है ईमान?
इसीलिए तुम्हारी सेहत का न कभी कोई होता जिम्मेदार

सिएटल 425-898-9325
11 सितम्बर 2009

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