अभिलाषा है बाकी
चाहा है तुमको
तुम्हें पाना है बाकी
दिल में मेरे तुम
कब से बसे हो
आँखों से आँखें
मिलाना है बाकी
आते ही रहते हो
ख़्वाबों में हर दिन
रातों में तुम्हारा
आना है बाकी
सबसे हसीं तुम
जग में सनम हो
हाथों से तुम्हें
सजाना है बाकी
बागी नहीं
बागबां है राहुल
बागों में फिर से
गुल खिलाना है बाकी
राहुल उपाध्याय | 15 सितम्बर 2009
(अमरीका आने की 23 वीं वर्षगाँठ) | सिएटल
1 comments:
वाह!! प्रेमपूर्ण भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति....
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