Saturday, October 20, 2012

तुम्हारी यादें


तुमसे बेहतर हैं
तुम्हारी यादें
सच्चे-झूठे प्यार के वादें
रूठने-मनाने की अनगिनत बातें
वरना
आज
हम साथ होते
तो
बढ़ते वजन
और
घटते बालों 
के बीच
मोहब्बत
कब की खप चुकी होती 

तुम्हारी सांसें
जिसकी खुशबू मुझे नहला देती थी 
तुम्हारी आँखें
जो प्यार उड़ेला करती थी
तुम्हारी हँसी
जो निर्झर बहा करती थी
घर-गृहस्थी की दलदल में
कब की सूख चुकी होती

तुम होती तो
न यादें होती
न बातें होती
थकी-थकाई सी
रातें होती
सोते हम एक बिस्तर पर
पर दो तकियों के बीच
हज़ारों मील की
दूरी होती

20 अक्टूबर 2012
सिएटल । 513-341-6798

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1 comments:

Anonymous said...

तुम होतीं तो ये problem होती, वो problem होती, तुम यह कहतीं, तुम वो कहतीं - तुम नहीं हो तो अच्छा ही है - मैं और मेरी तन्हाई अक्सर यह बातें करते हैं :)

सुन्दर प्रस्तुति!