Tuesday, October 23, 2012

मूर्ति पूजा


इन दिनों त्योहार का मौसम है. तो जाहिर है कि लोगबाग पूजा-पाठ के बारे में सोच रहे हैं. अमरीका में नई गृहस्थी जमाते वक्त फ़र्नीचर, टी-वी, अन्य आधुनिक उपकरणों का नम्बर पहले आता है. वो तो त्योहार के आसपास ध्यान आता है कि अरे लक्ष्मी-गणेश तो है ही नहीं. चलो लाला की दुकान से लेकर आते हैं. अब यहाँ हर चीज़ को लौटाने की सुविधा है सो लौटाने की आदत सी भी पड़ जाती है. दुकान में ज्यादा समय बर्बाद करने के बजाय पाँच-छ: पतलून ले आते हैं कि जो पसंद नहीं आई या फ़िट नहीं आई उसे 30 दिन के अंदर वापस कर देंगे.

इसी सुविधा और ग्राहक की आदत को देखते हुए शायद लाला जी की दुकान पर लिखा था कि भगवान वापस नहीं लिए जाएगे. बस उसी तख्ती को देख कर ये कविता बन गई.


बिक गया है जो
लुट गया है वो
तराना पुराना
हो गया है वो

पूजा जिनकी हो रही है आज
मंडप में जो कर रहे हैं राज
लाला की दुकान पर
बिक रहे थे वो
सुनार-कुम्हार के हाथों
पिट रहे थे वो

कौड़ियों के भाव
बिक जाते हैं जो
समृद्ध हमें करेंगे वो?
बिकना जिनके
मुकद्दर में हो
मोक्ष हमें दिलाएंगे वो?
पंडित के सुलाने से
सो जाते हैं जो
किस्मत हमारी जगाएंगे वो?
पलक झपकते ही
विसर्जित हो जाते हैं जो
भव सागर पार कराएंगे वो?

लालची का लोभ है
या प्रेमी का प्यार है
दुखियारे का दर्द है
या सतसंग का संस्कार है
शिल्पी का हुनर है
या भक्ति का चमत्कार है
दुनिया जिसे कहती हैं पत्थर
करती उसी का सत्कार है

आज एक और त्योहार है
लगा रिवाज़ों का बाज़ार है
हम भी उसमें जुट गए
जहाँ सबसे लम्बी कतार है

भरा हुआ भंडार है
सम्पदा जहाँ अपार है
गरीब से गरीब भी
वहाँ दे रहा उपहार है

बिक गया है जो
लुट गया है वो
तराना पुराना
हो गया है वो

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2 comments:

Anonymous said...

Comparisons/contrasts बहुत बढ़िया लगे:

कौड़ियों के भाव बिकना और समृद्ध करना या मोक्ष दिलाना, सोना और किस्मत जगाना, विसर्जित होना और भव सागर पार कराना.

दुनिया जिसे कहती हैं पत्थर, "मानो तो एक नींव वही है..."

Anonymous said...

Swades movie का गाना जो August में "भेड़ चाल" कविता से याद आया था:

राम ही तो करुना में हैं, शांती में राम हैं
राम ही हैं एकता में, प्रगती में राम हैं
राम बस भक्तों नहीं, शत्रु के भी चिंतन में हैं
देख तज के पाप रावण, राम तेरे मन में हैं
राम तेरे मन में हैं, राम मेरे मन में हैं
राम तो घर घर में हैं, राम हर आंगन में हैं
मन से रावण जो निकाले, राम उसके मन में हैं...