गाँधी जी के देस में
रियूनियन के भेस में
पाँच-सितारा होटल में
छुरी-काँटें चलते हैं
लोग गले मिलते हैं
देश की दयनीय स्थिति पर
फिकरे कसा करते हैं
मध्यम वर्ग के
संभ्रांत परिवार के पूत
पढ़ते हैं
खटते हैं
मेहनत से आगे बढ़ते हैं
और फिर
न जाने किस कालकोठरी में
जाके खो जाते हैं
गाड़ी
बंगला
बीवी-बच्चों में ही
बंध के रह जाते हैं
और
छुरी-काँटें चलाते-चलाते
देश की दयनीय स्थिति पर
फिकरे कसा करते हैं
19 अक्टूबर 2012
सिएटल । 513-341-6798
1 comments:
शायद पांच सितारा होटल के comfort में फिकरे कसना (और यहाँ U.S. में swamis का discourse सुनना) ज़्यादा आसान हो जाता है...
मध्यम वर्ग के पूत पढ़ते हैं, फिर कालकोठरी में खो जाते हैं - इस बात से गाने की line याद आई:
"नैनों में थी प्यार की रोशनी
तेरी आँखों में ये दुनियादारी न थी
तू और था तेरा दिल और था..."
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