Sunday, October 7, 2012

मानो तो एक नींव वही है


कब कौन क्या लिखता है
इसका सिरा कहाँ मिलता है

कब क्या कहाँ खिलता है
इसका सिरा कहाँ मिलता है

कब कौन कहाँ टिकता है
इसका सिरा कहाँ मिलता है

कब कौन किसपे मरता है
इसका सिरा कहाँ मिलता है

सिरा नहीं है, पर गिला नहीं है
जीवन जीने की कला यही है
न मानो तो एक पत्थर
मानो तो एक नींव वही है

7 अक्टूबर 2012
सिएटल । 513-341-6798
=====
सिरा=आरंभ

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1 comments:

Anonymous said...

"न मानो तो एक पत्थर
मानो तो एक नींव वही है"

अच्छा कहा आपने!सिरा मिलना हमेशा ज़रूरी नहीं होता. कभी कभी सिर्फ मानना ही काफी होता है.