बढ़ रही मुश्किल
उस पे नाज़ुक है दिल,
ये न जाना
हाय हाय ये ज़ालिम कोरोना
जो दिखे भाग लो
बस मेरी मान लो
कह के जाना
हाय हाय ये ज़ालिम कोरोना
जम के हाथों में साबुन लगाकर
नाक, होंठ और नज़रें बचाकर
घर पे ही रह गए
कहते ही रह गए
हम फ़साना
हाय हाय ये ज़ालिम कोरोना
कोई मेरे ये हालात देखे
होते दिल बर्बाद देखे
फूँक न जाए जिगर
कर दिया है ये घर
कैदखाना
हाय हाय ये ज़ालिम कोरोना
(मजरूह सुल्तानपुरी से क्षमायाचना सहित)
राहुल उपाध्याय । 14 मई 2020 । सिएटल
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