Saturday, April 30, 2022

मेरे दोस्त

मेरे दोस्त मेरा मज़ा लेते हैं 

जो चाहे सुना देते हैं 


लड़ते-झगड़ते तो वाजिब भी था

हँसते-हँसते दगा देते हैं 


जो कहते हैं करते नहीं 

देने को हज़ार सलाह देते हैं 


लूटपाट भी कोई करता नहीं 

बस एक भरोसा है जो गंवा देते हैं

 

मिलने की उन्हें फ़ुर्सत नहीं 

फ़ोकट में दोस्त बना लेते हैं


राहुल उपाध्याय । 30 अप्रैल 2022 । सिएटल 


Wednesday, April 27, 2022

कोशिश तो कर

https://youtu.be/61csHUISqeo


ऐ मेरे दिल कभी

तू जोखिम तो ले

तू तुझे आज़माने की कोशिश तो कर

हार जाए तो क्या

हार ही पाए तो क्या

फिर से हिम्मत जुटाने की कोशिश तो कर


ख़ौफ़ से तू कभी ना ख़ौफ़ कर

अपने हाथों से तक़दीर लिख कर

बेधड़क, बेहिचक, बढ़ते जा, रूक यूँ मत

मान कर हक़ तेरा ऐ मेरे हमनशीं

सब से नज़रें मिलाने की कोशिश तो कर

हार जाए तो क्या

हार ही पाए तो क्या

फिर से हिम्मत जुटाने की कोशिश तो कर


हक़ तेरा कोई तुझसे क्यों छीन ले

तू है फ़ौलाद, हाथ क्यों खींच ले

ग़म न कर, रख कदम, कर करम हर कदम

तू है आया जहाँ, वो है तेरा जहां 

उसे बेहतर बनाने की कोशिश तो कर 

हार जाए तो क्या

हार ही पाए तो क्या

फिर से हिम्मत जुटाने की कोशिश तो कर


अब न आएगा कोई तू जान ले

तेरा हाथ बँटाने नहीं मान ले

जो भी है, तू ही है, बस तू ही है

सोच ले अब तेरा साथ ही है तेरा

ख़ुद से ख़ुद को मिलाने की कोशिश तो कर

ऐ मेरे दिल कभी

तू जोखिम तो ले

तू तुझे आज़माने की

कोशिश तो कर


राहुल उपाध्याय । 27 अगस्त 2021 । सिएटल 



Monday, April 25, 2022

जल अगर हमसे कभी भी जुदा हो जाए

जल अगर हमसे कभी भी जुदा हो जाए 

ग़ैर मुमकिन है कि सुख चैन से हम जी पाए

जिस्म मिट जाए के तब जान फ़ना हो जाए


उस घड़ी सब को सताएँगीं प्यासी आहें 

आग बरसाएँगी सहरा की सुलगती राहें

और हर साँस झुलसने की सज़ा हो जाए


आज तदबीर अगर कर लें ज़माने वाले

हो सकता है बदल जाए दिन आने वाले

आज सम्हलें तो युग-युग की दवा हो जाए


ज़लज़ले आएँ ख़तरनाक बलाएँ घेरे

कुछ न कर पाए जो तेज़ हवाएँ घेरे

हल जो पानी की समस्या हो जाए


राहुल उपाध्याय । 25 अप्रैल 2022 । सिएटल 




Thursday, April 21, 2022

माली है बदमाश

'ग़र मीडिया मुझसे कहे मान तू आँकड़े मेरे

मैं न मानूँ जब आग से गाँव हैं जलते मेरे

हमप्याला, हमनिवाला, लोग जब लड़ते रहे

भर प्याला ज़हर का

अलगाव का

व्याभिचार का

जब सरग़ना बोलते रहें 

हर वोट का

हर जीत का

हर हार का

भार तोलते रहें


माली ने उजाड़ दिया बाग मेरा देख लो

कर दिया तबाह ज़रा देख लो

हो रहा टकराव ज़रा देख लो 

सबका गुनहगार ज़रा देख लो

बाज के आते ही महफिल में हैवानियत छा गई

माली है बेईमान ज़रा देख लो

माली है बदमाश ज़रा देख लो


आए दिन ढेरों यहाँ ढेर हो जाएँ

न्याय आने में यहाँ देर हो जाए

कल तलक यार थे, आज बैर हो जाए

हाथ तलवार ले, शेर हो जाए 

कैसा सुरूर है सब पे चढ़ा बचकाना

किसे फ़िक्र है भरेगा कौन हरजाना

जीत मिलते ही जवानी छा गई 

माली है बेईमान ज़रा देख लो

माली है बदमाश ज़रा देख लो


राहुल उपाध्याय । 21 अप्रैल 2022 । सिएटल 



Monday, April 18, 2022

इश्क़ हुआ आज मुकम्मल मेरा

इश्क़ हुआ आज मुकम्मल मेरा

रो रहा हूँ भीगो आँचल मेरा


ग़ैर भी हो गए अपने इतने

साथ नहीं देते आजकल मेरा


इधर आग तो उधर पानी है

हैं कहाँ वो जो बने सम्बल मेरा


इल्म हो 'गर कहाँ मक़ाम उसका

आना-जाना न हो मुसल्सल मेरा


जब-जब हाथ जलें मेरे

और बढ़ा मनोबल मेरा


राहुल उपाध्याय । 18 अप्रैल 2022 । सिएटल


Saturday, April 16, 2022

इतवारी पहेली: 2022/04/17


इतवारी पहेली:


उधर आसमाँ में फिरता अकेला, तन्हा #%# #

इधर चकोर भी तन्हा भरता रहता है #%# ## 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 24 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 17 अप्रैल 2022 । सिएटल 
















Re: इतवारी पहेली: 2022/04/10



रवि, 10 अप्रैल 2022 को पू 12:09 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


बाहरी ताक़त की आदत है आज भी ##%## #

हम तो भूल चुके, कब भूलेगा ## ## ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 अप्रैल 2022 । सिएटल 
















Wednesday, April 13, 2022

मैं चाहता हूँ वक़्त के साथ सेल्फ़ी लेना

मैं चाहता हूँ 

वक्त के साथ सेल्फ़ी लेना

दुख को डीलिट करना

सुख को टैग करना

हँसी को व्हाट्सएप करना

ख़ुशी को डाउनलोड करना

अतीत को आर्काइव करना

भविष्य से चैट करना

सपनों से बात करना


ऑपरेटिंग सिस्टम भी है

ऐप भी है 

डेटा भी है

आँख-कान-ज़बान सब हैं

नहीं है तो नेटवर्क 


राहुल उपाध्याय । 13 अप्रैल 2022 । सिएटल 





Sunday, April 10, 2022

इतवारी पहेली: 2022/04/10


इतवारी पहेली:


बाहरी ताक़त की आदत है आज भी ##%## #

हम तो भूल चुके, कब भूलेगा ## ## ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 17 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 10 अप्रैल 2022 । सिएटल 
















Re: इतवारी पहेली: 2022/04/03



रवि, 3 अप्रैल 2022 को पू 12:04 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


हमारी यह तस्वीर शॉपिंग ## # #

कोई कहे बेटा लकी है, कोई कहे # ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 10 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 3 अप्रैल 2022 । सिएटल 
















Thursday, April 7, 2022

बड़ी सुखदायी है, अम्बे महारानी

आने से उसके आए बहार

गाने पे उसके नाचे हज़ार

बड़ी सुखदायी है 

अम्बे महारानी 

देने सुख आई है 

अम्बे महारानी 


चल के आए ऐसे 

जैसे बजते हों 

घुंघरू कहीं पे

आके पर्वतों से

जैसे गिरता हो 

झरना ज़मीं पे

झरनों की 

मौज है वो

रोगों की दवाई है 


बन संवर के निकले नाचें दो-दो बजे तक सभी हाँ 

जागरण का मौसम

जागे जप-तप करत 

हर नगीना 

देखो तो 

कौन हैं ये

नींद ना आई है


इन्सानों के दुख का

दुख-सुख का

नहीं कोई काँटा

बादलों से जैसे

झाँकें चंदा कोई 

भोला-भाला

माता को 

देखा तो

मिटी कठिनाई है


(आनंद बक्षी से क्षमायाचना सहित)

राहुल उपाध्याय । 7 अप्रैल 2022 । सिएटल 

https://youtu.be/PusVEFzmn8Y


राज़दार रहें सब राज़दार

कितने शवों को

कितनी बार

छोड़ा मैंने 

कर के प्यार


अंत समय में

आई बुद्धि 

ये नहीं मेरी

असली हस्ती

छोड़ा जल्दी 

बदबूदार


होश आया तो

होंठ सूखे थे

बंधु-बाँधव से

तार टूटे थे

कह ना पाया

कुछ भी यार


अगला अपाइंटमेंट 

था फिर रेडी

चड़ गया वेदी

भेड़ की भाँति 

छोड़ चित्कार

भरी किलकार


आवागमन का

चलता दौर

इसके आगे

कुछ नहीं और

राज़दार रहें

सब राज़दार 


राहुल उपाध्याय । 7 अप्रैल 2022 । सिएटल 




Tuesday, April 5, 2022

सवाल

चार दिन की ज़िंदगी?

ये कौनसा गणित है?


बूँद बूँद से घड़ा भरता है 

किसी ने कभी भर के देखा है?


पैसा हाथ का मैल है 

ये कहाँ की तुक है?

बेकार ही हमने पढ़ाई की?


यदि हम अहिंसा के पुजारी हैं तो आँख क्यों मारते हैं? 


कोई पूछे कि 'एक सवाल पूछूँ?' तो उसे क्या जवाब दूँ?


राहुल उपाध्याय । 5 अप्रैल 2022 । सिएटल 




Sunday, April 3, 2022

हम जो कहते हैं

हम जो कहते हैं 

करते नहीं 


कहते हैं फ़ोन

रात को मत चलाओ

पर चलाते हैं 

जेब में मत रखो

सिरहाने मत रखो

पर रखते हैं 

खाते वक्त मत देखो 

चलते वक्त मत देखो

घड़ी-घड़ी मत देखो 

पर देखते हैं 


कहते हैं रोज़

योग किया करो

प्राणायाम किया करो

ध्यान लगाया करो

पूजा-पाठ किया करो

राम का नाम लिया करो

गीता की टीका पढ़ा करो

बच्चों को हनुमान चालीसा रटाया करो

माँ-बाप से बात किया करो

दोस्तों को फ़ोन किया करो

घूमने-फिरने जाया करो

शाम 7 से पहले डिनर कर लिया करो

जल्दी सो जाया करो

पर ऐसा कुछ नहीं करते हैं 


कहते हैं 

कपिल शर्मा को मत देखो

अमुक-अमुक खान की फ़िल्में मत देखो 

पर देखते हैं 


हम वही कहते हैं 

जो हम नहीं कर सकते


कोई नहीं कहता कि रोज़ 

देर तक सोया करो

चटपटा खाया करो

….

….

जो मन आए किया करो


राहुल उपाध्याय । 3 अप्रैल 2022 । सिएटल 












इतवारी पहेली: 2022/04/03


इतवारी पहेली:


हमारी यह तस्वीर शॉपिंग ## # #

कोई कहे बेटा लकी है, कोई कहे # ## #


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 10 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 3 अप्रैल 2022 । सिएटल 
















Re: इतवारी पहेली: 2022/03/27



शनि, 26 मार्च 2022 को अ 11:50 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

इतवारी पहेली:


क्या तन के अलावा ### ## #?

कुछ के लिए बस तन ## ## ## # 


इन दोनों पंक्तियों के अंतिम शब्द सुनने में एक जैसे ही लगते हैं। लेकिन जोड़-तोड़ कर लिखने में अर्थ बदल जाते हैं। हर # एक अक्षर है। हर % आधा अक्षर। 


जैसे कि:


हे हनुमान, राम, जानकी

रक्षा करो मेरी जान की


ऐसे कई और उदाहरण/पहेलियाँ हैं। जिन्हें आप यहाँ देख सकते हैं। 


Https://tinyurl.com/RahulPaheliya 


आज की पहेली का हल आप मुझे भेज सकते हैं। या यहाँ लिख सकते हैं। 


सही उत्तर न आने पर मैं अगले रविवार - 3 अप्रैल को - उत्तर बता दूँगा। 


राहुल उपाध्याय । 27 मार्च 2022 । सिएटल 
















Friday, April 1, 2022

उल्टा सीधा एक समान #30

उल्टा सीधा एक समान #30

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


सूरत 


राहुल उपाध्याय । 1 अप्रैल 2022 । सिएटल










Re: उल्टा सीधा एक समान #29



गुरु, 24 मार्च 2022 को अ 9:23 पर को Rahul Upadhyaya <kavishavi@gmail.com> ने लिखा:

उल्टा सीधा एक समान #29

—————————


मलयालम, नवीन, नवजीवन आदि ऐसे शब्द हैं जो उल्टा सीधा एक समान हैं। बाएँ से दाएँ भी वही हैं जो दाएँ से बाएँ हैं। 


यह तो हुए शब्द। ऐसे ही शब्दों के समूह, यानी जुमले भी हो सकते हैं। जैसे कि:


नाहक है कहना। 


दिया गया शब्द आगे-पीछे-बीच में कहीं भी आ सकता है। 


आज का शब्द है:


रवानी 


राहुल उपाध्याय । 25 मार्च 2022 । सिएटल