इश्क़ हुआ आज मुकम्मल मेरा
रो रहा हूँ भीगो आँचल मेरा
ग़ैर भी हो गए अपने इतने
साथ नहीं देते आजकल मेरा
इधर आग तो उधर पानी है
हैं कहाँ वो जो बने सम्बल मेरा
इल्म हो 'गर कहाँ मक़ाम उसका
आना-जाना न हो मुसल्सल मेरा
जब-जब हाथ जलें मेरे
और बढ़ा मनोबल मेरा
राहुल उपाध्याय । 18 अप्रैल 2022 । सिएटल
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