'ग़र मीडिया मुझसे कहे मान तू आँकड़े मेरे
मैं न मानूँ जब आग से गाँव हैं जलते मेरे
हमप्याला, हमनिवाला, लोग जब लड़ते रहे
भर प्याला ज़हर का
अलगाव का
व्याभिचार का
जब सरग़ना बोलते रहें
हर वोट का
हर जीत का
हर हार का
भार तोलते रहें
माली ने उजाड़ दिया बाग मेरा देख लो
कर दिया तबाह ज़रा देख लो
हो रहा टकराव ज़रा देख लो
सबका गुनहगार ज़रा देख लो
बाज के आते ही महफिल में हैवानियत छा गई
माली है बेईमान ज़रा देख लो
माली है बदमाश ज़रा देख लो
आए दिन ढेरों यहाँ ढेर हो जाएँ
न्याय आने में यहाँ देर हो जाए
कल तलक यार थे, आज बैर हो जाए
हाथ तलवार ले, शेर हो जाए
कैसा सुरूर है सब पे चढ़ा बचकाना
किसे फ़िक्र है भरेगा कौन हरजाना
जीत मिलते ही जवानी छा गई
माली है बेईमान ज़रा देख लो
माली है बदमाश ज़रा देख लो
राहुल उपाध्याय । 21 अप्रैल 2022 । सिएटल
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